आप सभी फिल्में तो अवश्य देखते होंगे तो क्या आपको एक फिल्म का यह डायलॉग याद है कि यदि किसी चीज को पूरी शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उससे मिलाने में लग जाती है।
वैसे यह बात काफी हद तक सही थी साबित होती है किसी से जुड़ी हुई हिंदी की एक कहावत है कि जहां चाह है वहां राह है। इस कहावत का अर्थ यह है कि जब मनुष्य कुछ पाने की चाहत रखता है तो उसे रास्ता खुद ब खुद नजर आने लगता है।
बहुत-बहुत मनुष्य अपने जीवन में बहुत उदास हो जाते हैं क्योंकि वह पाना तो बहुत कुछ चाहता है लेकिन उसके पास उसे पाने के लिए संसाधन मौजूद नहीं होते। लेकिन इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता है कि यदि हम किसी चीज को पाने के लिए पूरी जान लगा दे तो हम उस चीज को पा सकते हैं
किसी चीज को पाने के लिए बहुत से कष्ट झेलने पड़ते हैं लेकिन जब वह चीज हमें बहुत मुश्किलो के बाद मिल ही जाती है तो उस चीज का स्वाद ही अलग होता है।
मनुष्य को यह बात गांठ बांध लेने की जरूरत है कि यदि वह कुछ पाना चाहता है तो उसे पूरे मन से उसे खोजने की आवश्यकता है। वह मार्ग में आ रही कठिनाइयों से डर कर पीछे नहीं भाग सकता है।
उसे अपने मार्ग में आ रही सभी कठिनाइयों का मन लगाकर सामना करना है, उनसे डटकर मुकाबला करना है। यदि वह कठिनाइयों का सामना पूरी हिम्मत से करता है तो निश्चित रूप से सफलता आज नहीं तो कल उसके कदम चूमेगी।
बहुत बार मनुष्य बहुत कुछ करना तो चाहता हैं वह उस कार्य को करना प्रारंभ भी कर देता है मतलब कि वह अपना सपना पूरा करने की और एक कदम बढ़ाता भी है लेकिन जैसे ही कोई कांटा दिखाई देता है तो वह उससे हटकर पीछे हो जाते हैं और वापस कभी प्रयास भी नहीं करता ऐसे व्यक्ति जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते हैं।
उदाहरण के माध्यम से भी समझ सकते है।
एक बहुत ही गरीब परिवार का बालक जो पढ़ना चाहता है लेकिन उसका परिवार उसके पढ़ने के लिए पर्याप्त घर नहीं जुटा पाता इसीलिए वह सरकारी स्कूल में पढ़ खूब मेहनत करता है और पूरे राज्य में प्रथम आता है जिससे कि उसकी आगे की पढ़ाई का खर्चा सरकार उठाती है उसे बालक ने पढ़ने चाहा तो उसे सरकार द्वारा छात्रवृत्ति मिल गई जिससे कि उसका जीवन साकार हो सका।
यदि वह बालक अपने घर की परिस्थितियों को देखते हुए शुरुआत से ही काम पर लग जाता और नहीं पढ़ती तो न तो वह राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त कर पाता और न ही उसे सरकार की छात्रवृत्ति मिल पाती। वह अपने सपनों का मात्र अपने परिवार की स्थिति को देख कर त्याग देता।
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यहां हमने यह उदहारण आपको इस उद्देश्य से दिया है कि आप जहाँ चाह वहाँ राह है मतलब को समझें।
इसका अर्थ स्पष्ट शब्दों में यही होता है कि यदि मनुष्य कुछ पाने की चाह रखता है और वह उसके लिए निरंतर प्रयास करता रहता है तो वह एक दिन उसे अवश्य मिल जाता है अर्थात निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंडली है।
मानव मात्र से यह उम्मीद की जाती है कि वह कुछ पाने की राह में कभी भी पीछे नहीं हटें। यदि वह कुछ पाना चाहता है तो वह बीच में आ रही बाधाओं और अड़चनों की ओर ध्यान न देते हुए निरंतर प्रयास करते रहे।
आपने प्राइमरी कक्षाओं में चींटी की कविता भी अवश्य पढ़ी होगी जिसमें कि वह अपने से दोगुना बोझ लेकर दीवार पर चढ़ रही होती हैं और बार-बार गिरने पर भी वह हार नहीं मानती बल्कि दोबारा से उस बोझ को उठाकर चलती है।
अंतत उसे अपनी मंजिल मिल ही जाती है इसी प्रकार हम सब भी एक चींटी की भांति ही है हम सब भी यदि अपने सपनों का बोझ उठा कर चलेंगे तो निश्चित रूप से कई बार गिरेंगे। लेकिन यदि हम गिरकर फिर से उठ जाए और हार ना माने तो हमें भी हमारी मंजिल एक दिन अवश्य मिल जाएगी।
यही कारण है कि हमारे बड़े भी हमेशा हमें यही कहते आए हैं कि थक कर बैठने से कुछ नहीं होगा गिरो, उठो और फिर से अपना सफर शुरू करो।
यदि तुम पहले प्रयास में गिर जाने के बाद हार मानकर बैठ जाते हो तो तुम जीवन में कभी सफलता नहीं पा पाओगे। इसीलिए सफलता पाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहिए आपको राह अवश्य मिलेगी।
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निष्कर्ष
हम आशा करते हैं कि हम अपना जहां चाह है, वहां राह है पर हिंदी में निबंध का संदेश अपने पाठकों तक पहुंचाने में सफल हुए होंगे।
इस लेख के माध्यम से हमारा एकमात्र उद्देश्य अपने पाठकों को जीवन के प्रति जागरूक करना है। यदि आप अपनी कोई भी बात हम तक पहुंचाना चाहते हैं तो कृपया कमेंट सेक्शन के माध्यम से बताएं।