टेक्नोलॉजी से जुड़े बहुत से ऐसे शब्द है जिनके अर्थ हममें से बहुत से लोग नहीं जानते। लेकिन वह हमारे लिए जानना बहुत जरूरी होता है क्योंकि आने वाले भविष्य में सब कुछ टेक्नोलॉजी पर ही आधारित होने वाला है। ऐसे में जरूरी है कि हम खुद को अपडेट रखें। आज के इस लेख में हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि बूटिंग किसे कहते हैं और बूटिंग कितने प्रकार की होती है। तो आइए शुरूआत करते हैं बूटिंग प्रोसेस के बारे में बताने वाले इस लेख की।
बूटिंग के प्रकार और बूटिंग प्रोसेस
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कंप्यूटर की वह क्रिया जिसमें वह मुख्य मेमोरी या फिर रैंडम एक्सेस मेमोरी में ऑपरेटिंग सिस्टम को लोड करता है बूटिंग कहलाती है। यह स्टार्टअप का एक सीक्वेंस है जिसकी मदद से कंप्यूटर का ऑपरेटिंग सिस्टम स्टार्ट होता है। कंप्यूटर ऑन करने से लेकर इसके काम करने की स्थिति में आने तक की प्रक्रिया को ही बूटिंग कहा जाता है।
बूटिंग कितने प्रकार की होती हैं?
अब आपके लिए इस प्रश्न का उत्तर जान लेना जरूरी है कि बूटिंग के कितने प्रकार होते हैं और यह कितने प्रकार से की जा सकती है। तो नीचे हम आपको इस प्रश्न का उत्तर देने जा रहे हैं।
कंप्यूटर में बूटिंग दो प्रकार से की जा सकती है।
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1. वॉर्म या फिर सॉफ्ट बूटिंग: जब कॉल बूटिंग की प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो सॉफ्ट बूटिंग की प्रक्रिया किसी भी वक्त शुरू की जा सकती है। इसका उपयोग करने के लिए आपको रीस्टार्ट का बटन या फिर कीबोर्ड कुंजी (Ctrl + Alt + Del) का उपयोग करते है। इसकी वजह से कंप्यूटर को हानिकारक परिणाम देखने को भी मिल सकते हैं।
2. कोल्ड या फिर हार्ड बूटिंग: यह तब शुरू होती है जब कंप्यूटर का स्विच ऑन किया जाता है। इसमें रोम के भीतर के घटकों के माध्यम से कंप्यूटर की मेमोरी की जांच की जाती है। इसे करने के लिए आपको पावर बटन को ऑन करना पड़ेगा मतलब कि इस प्रक्रिया में कंप्यूटर शुरू होता है। इसमें पावर ऑन सेल्फ टेस्ट की प्रक्रिया आती है।
बूटिंग प्रोसेस क्या हैं?
बूटिंग प्रक्रिया में बहुत से चरण शामिल होते है। नीचे हम आपको इन सभी चरणों के बारे में बता रहे हैं।
• पावर ऑन सेल्फ टेस्ट (Post): यह बूटिंग प्रोसेस का पहला चरण है। जब आप कंप्यूटर को स्टार्ट कर देते है तो सबसे पहले यह जांच की जाती है कि हार्डवेयर के सभी घटक ठीक से कार्य कर रहे हैं या नहीं। इस जांच के लिए बहुत से डायग्नोस्टिक परीक्षण किए जाते है। इसे ही पावर ऑन सेल्फ टेस्ट कहा जाता हैं।
• बीआईओएस इनीशियलाईजेशन BIOS Initialization: पावर ऑन सेल्फ टेस्ट की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद शुरू होने वाली प्रक्रिया हैं। यह कंप्यूटर के सभी हार्डवेयर घटकों को कंट्रोल करने वाला फर्मवेयर है।
• बूट लोडर: यह मेमोरी को ऑपरेटिंग सिस्टम में लोड करने का कार्य करता है यह एक बहुत ही छोटा प्रोग्राम होता है जो कि हार्डडिस्क पर पाया जाता है। और इसे लोड बीआईओएस द्वारा किया जाता है।
• ऑपरेटिंग सिस्टम इनीशियलाईजेशन: जब मेमोरी को बूट द्वारा ऑपरेटिंग सिस्टम में लोड कर दिया जाता है तो ऑपरेटिंग सिस्टम इनीशियलाईजेशन की प्रोसेस शुरू होती हैं। इसमें सर्विसेज, डिवाइस ड्राइवर और बहुत से जरूरी सिस्टम घटक लोड होते है।
• यूजर लॉगिन: जब ऊपर की प्रोसेस पूरी हो जाती हैं तो कंप्यूटर को लॉगिन करने के लिए कहा जाता हैं। लॉगिन हो जाने के बाद कंप्यूटर चालू हो जाता है और आप अपने कार्य करने के लिए तैयार है।
इन चरणों के माध्यम से आपको यह पता चल गया हो गया कि व्हाट इस बूटिंग प्रोसेस। आइए अब बुटिंग के बारे में और जानते है।
बूटिंग में आने वाली समस्याएं
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इसे करते वक्त बहुत ही समस्याएं भी आ सकती है नीचे हम आपको इन्हीं के बारे में बताएंगे।
• कंप्यूटर चालू न होने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
• जब आपका कंप्यूटर चालू हो जाता है तो आपके बीच-बीच में बीप की ध्वनि सुनाई पड़ सकती है।
• हो सकता है कि आपको कंप्यूटर बूट करने में काफी समय लगे।
• यदि आपकी विंडो में कोई खराबी होगी तो हो सकता है कि आपको ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ दिखाई दे।
नोट: इन सभी समस्याओं को कुछ सिस्टम सेटिंग के बाद सही किया जा सकता है।
निष्कर्ष – (Conclusion)
यदि आपको कंप्यूटर की जानकारी से संबंधित यह लेख अच्छा लगा है तो आप हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं। साथ ही आप इससे जुड़ी कोई भी सुझाव भी हमें कमेंट सेक्शन के माध्यम से दे सकते हैं। इसी प्रकार के और लेख पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट को दोबारा विजिट कर सकते हैं। हमेशा है कि आपको बूटिंग क्या है प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।