कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जो ईश्वर प्राप्ति का मार्ग न ढूंढ रहा हो। चाहे वह किसी भी धर्म से ताल्लुक रखता हो। हर व्यक्ति चाहता है कि उसे भगवान मिल जाएं या उसे भगवान की प्राप्ति का मार्ग मिल जाएं। आइए हम आपको ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग बताते हैं।
भगवान को कैसे पाया जाता है?
इस प्रश्न का उत्तर थोड़ा मुश्किल भी हो सकता है और समझने वाले लोगों के लिए बहुत सरल है कि भगवान को कैसे पाया जाता है।
* यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से अराधना करता है और पूरे मन से ईश्वर की भक्ति करता है तो वह भगवान को पा लेता है और उसे अपने सभी पापों से मुक्ति भी मिल जाती है। इसे आप शंख के पानी से भी जोड़कर देख सकते हैं।
जब भगवान के मंदिर में आरती संपन्न हो जाती है तो पुजारी जी सबसे ऊपर शंख के पानी से छिड़काव करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस भी व्यक्ति के ऊपर यह पानी आ जाए वह अपने सभी पापों से मुक्ति पर लेता है। ऐसा ही है व्यक्ति की सच्चे मन से की गई आराधना के साथ।
जानिए और करे : दिवाली पूजन से धन प्राप्ति की विधि
* भगवान को पाने के लिए आपको अपनी इंद्रियों पर काबू करना बहुत ज्यादा जरूरी है। आपको अपनी इंद्रियों को वश में रखना होगा। अपने मन को वश में रखना होगा। आजकल हमारा मन इधर-उधर भटकता रहता है हमारा मन पूजा करते हुए भी सिर्फ पूजा में नहीं रहता वह कहीं और ही घूम रहा होता है।
ऐसे में भगवान की प्राप्ति असंभव है। यदि आप वास्तव में भगवान को पाने के रास्ते खोज रहे हैं तो सबसे पहले अपने मन पर काबू करना सीखिए। अपने मन को एकाग्र करना सीखिए।
भगवान को कैसे खोजें?
ईश्वर की प्राप्ति एक बहुत ही जटिल कार्य है क्योंकि ईश्वर को प्राप्त करना सभी के बस की बात नहीं होती है ईश्वर की प्राप्ति के लिए आपको बहुत से प्रयत्न करने होते हैं।
* जो व्यक्ति ईश्वर को पाना चाहता है उसे अपने लालच, मोह, अहंकार जैसे तमाम विकारों से मुक्त होना होगा। यह सभी विकार ऐसे हैं जो आपको भगवान को पाने की राह में सबसे बुरे माने गए है और यह ईश्वर प्राप्ति की आपकी राह बहुत लगभग बंद कर देते हैं। व्यक्ति को लालच नहीं करना चाहिए एक व्यक्ति को सादा जीवन और उच्च विचार की भावना के साथ ही जीना चाहिए। उसे जरूरत से ज्यादा पाने की चाह नहीं रखना चाहिए जितना उसके पास है उसी में उसे संपन्न होना चाहिए और अपना ज्यादा से ज्यादा समय ईश्वर की भक्ति में व्यतीत करना चाहिए।
सम्पूर्ण जानकारी : ईद का चांद देखते वक्त पढ़ें यह दुआ, जाने इसका महत्व
* यदि आप वास्तव में ईश्वर को पाने की चाह रखते हैं तो आपके लिए जरूरी है कि आप उसमें ध्यान लगाए। आप को रोज जितना ज्यादा हो सके मेडिटेशन करना चाहिए अपना केंद्र बिंदु ईश्वर को बनाना चाहिए। आपको ईश्वर के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने का प्रयास करना चाहिए फिर चाहे आप भी धर्म से क्यों न हो।
आपको यह ध्यान में रखना चाहिए कि ईश्वर एक है वह सर्वव्यापी है यह धर्म जात-पात सब मनुष्य द्वारा उत्पन्न किए गए विषय हैं। आपको बस सर्वव्यापी ईश्वर का ध्यान करना चाहिए।
भगवान को कैसे पा सकते हैं?
प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह भगवान को पा ले या फिर बस में ही लीन हो कर रह जाए। इसके लिए वह तमाम प्रयास करते हैं लेकिन आज के इस कलयुग में भगवान को पाना बहुत मुश्किल काम है।
* बहुत से लेखक भी इस बात को लिख चुके हैं कि व्यक्ति कितने ही मंदिर में चल जाए कितने ही मस्जिद में चला जाए उसे ईश्वर की प्राप्ति तब तक नहीं होगी जब तक कि वह खुद को ईश्वर को समर्पित करने के लिए तैयार ना हो। ईश्वर के भक्ति पूरे मन से करने के लिए तैयार ना हो।
कबीर दास जी ने भी इस विषय पर बहुत से दोहे लिखे हैं उन्होंने यह बात बहुत स्पष्ट रूप से कही है कि आपको कभी भी मंदिर या मस्जिद जाने से ईश्वर नहीं मिलेगा। आपको ईश्वर जब मिलेगा जब आप ईश्वर की भक्ति सच्चे मन से करते हैं। अपने सभी विकारों को त्याग देते हैं एक दूसरे के लिए अपने मन में ईर्ष्या का भाव नहीं रखते हैं।
पढ़े और करे : जीवन जीने का सबसे अच्छा तरीका: जिंदगी काटे नहीं बल्कि जिए पढ़ें कमाल के टिप्स
* यदि आप भागवत गीता पढ़ेंगे तो इसमें भी आपको भगवान के पाने के तीन तरीकों के बारे में बताया गया है। इसमें तीन प्रकार के योग के बारे में बताया गया है जिनके माध्यम से भगवान को पाना संभव है।
पहला कर्म योग है यानी कि आपके कर्म अच्छे रहने चाहिए। दूसरा ज्ञान योग है यानी कि आपको ज्ञान होना चाहिए। तीसरा है भक्ति योग आपको ईश्वर की भक्ति में लगे रहना चाहिए और यह भक्ति निस्वार्थ सच्चे मन से होनी चाहिए।
हमने आपको ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग बताया है। हमने आपको यह बताया है कि कैसे आप कुछ आदतों को अपने दिनचर्या में शामिल कर ईश्वर को बुला सकते हैं और भगवान को पाना तो सभी चाहते हैं लेकिन यह सभी कर नहीं पाते हैं।
क्योंकि हमारे भीतर बहुत सी दोष और कमियां है। ऊपर इन सभी के बारे में हमने आपको बताया है इन सब पर काबू पाने के बाद ही आप ईश्वर को पा सकते हैं।