भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जनता की भलाई के लिए उठाएं जा रहे कदमों को नकारा नहीं जा सकता है भारत सरकार राज्य सरकार को भी निर्देश देती है कि वह अपने-अपने राज्यों में ऐसी योजनाएं लागू करें जिनसे की उन राज्य में रह रहे लोगों को लाभ मिले और वह एक अच्छा जीवन यापन कर पाए।
इसी क्रम में एक योजना है महात्मा गांधी नरेगा योजना। आज का यह लेख आपको इसी योजना के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है।
महात्मा गांधी नरेगा योजना क्या है?
हो सकता है कि आप में से कुछ लोग इसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के नाम से जानते हैं। इस योजना का पुराना नाम राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम था। बाद में अक्टूबर 2009 में इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कर दिया गया।
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इस योजना को 2005 अधिनियम के तहत लागू किया गया था। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे अकुशल मजदूरों को साल में 100 दिन न्यूनतम मजदूरी पर रोजगार देने का प्रावधान है।
राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां पर इस योजना के तहत 125 दिन का रोजगार दिया जाता है जिनमें से 100 दिन मजदूर को केंद्र सरकार द्वारा रोजगार दिया जाता है और बाकी के 25 दिन रोजगार राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है।
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महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत कौन आवेदन कर सकता है?
अब तक हमने जाना कि महात्मा गांधी नरेगा योजना क्या है? अब हम यह जानेंगे कि इसमें आवेदन करने के लिए कौन-कौन सी पात्रताएं पूरी करने की आवश्यकता होगी।
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- इस योजना में आवेदन करने के लिए व्यक्ति को भारत का स्थाई निवासी होना जरूरी है।
- इस योजना में आवेदन करने वाले आवेदक की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
- आवेदक किसी और ग्रामीण क्षेत्र में जाकर आवेदन नहीं कर सकता है यदि वह आवेदन करना चाह रहा है तो उसे अपनी ग्राम पंचायत के तहत ही आवेदन करना होगा।
- सिर्फ वह व्यक्ति ही आवेदन कर सकता है जो मजदूरी वाले कार्य करने को तैयार हो क्योंकि इस योजना के तहत कंप्यूटर और लैपटॉप आदि से जुड़े कार्य नहीं दिए जाते हैं। ग्राम संरचना, जल संचालन और कृषि आदि से जुड़े कार्य दिए जाते हैं।
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महात्मा गांधी नरेगा योजना की विशेषताएं क्या है?
आइए जानते हैं कि ऐसी कौन सी बातें हैं जो इस योजना को बहुत विशेष बना देती हैं।
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- इस योजना के तहत भारत के ग्रामीण क्षेत्र का विकास हो रहा है।
- क्योंकि यह योजना लिंग के आधार पर रोजगार नहीं देती इसीलिए इस योजना के तहत महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिल रहा है।
- इस योजना के आ जाने से ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए रोजगार के अवसर खुलते जा रहे हैं।
- क्योंकि इस योजना के तहत लोगों को गांव में ही रोजगार मिल जा रहा है इसीलिए रोजगार की तलाश में हो रहे पलायन पर भी एक तरह से रोक लग गई है।
- जो भी नागरिक इस योजना के तहत कार्य करता है उसे उसकी सैलरी बहुत जल्दी मिल जाती है।
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महात्मा गांधी नरेगा योजना के पात्र को कौन-कौन से अधिकार दिए गए हैं?
जो भी इस योजना के तहत पात्रता रखता है उसे व्यक्ति को बहुत से अधिकार दिए गए हैं नीचे हम आपको इन्हीं अधिकारों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
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- इस योजना के प्रत्येक आवेदक को जॉब कार्ड दिया जाता है जिसमें उसके नाम के साथ उसकी फोटो भी अंकित होती है। यदि व्यक्ति के पास जॉब कार्ड होता है तो उसे निश्चित रूप से कार्य के लिए रख लिया जाता है और उसे काम करने का अधिकार मिल जाता है।
- एक बार यदि व्यक्ति इस योजना में आवेदन कर देता है और वह सभी पात्रता को पूरा कर रहा होता है तो उसे आने वाले 15 दिन के भीतर रोजगार सौंप दिया जाता है यदि ऐसा नहीं होता तो वह 16वें दिन से बेरोजगारी भत्ते के लिए भी अप्लाई कर सकता है।
- जो व्यक्ति इस योजना के तहत कार्य कर रहा है उसे सप्ताह में एक बार या फिर पखवाडे में उसका मेहनताना मिल जाना चाहिए यदि ऐसा नहीं होता है तो इसके तहत कार्यवाही का प्रावधान है।
- जिस व्यक्ति ने भी आवेदन किया है उसे उसकी आवेदन करने वाली जगह से 5 किलोमीटर की दायरे में रोजगार प्रदान किया जाता है यदि रोजगार प्रदान करने का दायरा 5 किलोमीटर से ज्यादा हो जाता है तो ऐसे में उसे ट्रैवल एक्सपेंस भी दिए जाते हैं।
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निष्कर्ष – (Conclusion)
हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा इस लेख को लिखने के किए गए प्रयास से आपको महात्मा गांधी नरेगा योजना के बारे में एक हद तक जानकारी मिल गई होगी।
आपको अपने मन में उठ रहे सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होंगे और यदि इस योजना के तहत आप पात्रता रखते होंगे तो आप इस योजना में आवेदन करने के लिए पूरी तरह से तैयार होंगे।
यदि आप इस लेख के बारे में कोई भी सुझाव हमसे साझा करना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।