हिंदू धर्म में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो रामचरितमानस पढ़ने की इच्छा ना रखता हो। वह चाहता है कि वह इसकी सभी चौपाइयों को पढ़े और इसके अर्थ भी जाने। वास्तव में रामायण आपके जीवन को बदल देने वाला एक महान पुस्तक साबित हो सकता है। आज के इस लेख में हम आपको रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई बताने जा रहे हैं। हम आपको रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई का अर्थ भी बताएंगे।
रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई का अर्थ क्या है?
रामायण की चौपाई के अर्थ को समझना इतना ज्यादा आसान कार्य भी नहीं है लोगों को इसे गहन अध्ययन कर समझने की आवश्यकता होती है।
* एहि महँ रघुपति नाम उदारा।
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अति पावन पुरान श्रुति सारा॥
मंगल भवन अमंगल हारी।
उमा सहित जेहि जपत पुरारी॥
यदि हम इस चौपाई का अर्थ जानने जाए तो रामायण में रघुनाथ जी को उदार के नाम से जाना जाता है। यह अत्यंत पवित्र है, इसमें सभी वेद पुराणों का सार समाया हुआ है, यह व्यक्तियों का कल्याण करता है और अमंगल को समाप्त करता है। इस चौपाई को भगवान शिव शिवजी माता पार्वती के साथ जपा करते हैं।
* करमनास जल सुरसरि परई,
तेहि काे कहहु सीस नहिं धरई।
उलटा नाम जपत जग जाना,
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बालमीकि भये ब्रह्म समाना।।
अर्थ: इस चौपाई को भी रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई कहना गलत नहीं होगा। इसका अर्थ है कि यदि अपवित्र जल भी चाहे वह कितना भी अपवित्र क्यों ना हो यदि गंगा के जल में मिला दिया जाए तो ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो उसे सिर पर नहीं रखेगा। इसका सरल शब्दों में अर्थ यह हुआ कि अपवित्र जल भी गंगा के जल में मिलने के बाद शुद्ध हो जाता है और इस बात को तो पूरा संसार जानता है कि बाल्मीकि उल्टा नाम जप करके भी ब्रह्म के समान हो गए।
रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई कौन सी है?
रामायण की सभी चौपाई एक बेहतरीन संदेश के साथ आती है और रामायण के किसी भी चौपाई को कम आंकना नहीं चाहिए। लेकिन यहां पर हम आपको रामायण की कुछ सर्वश्रेष्ठ चौपाइयों के बारे में ही बता रहे हैं।
* कवन सो काज कठिन जग माहीं।
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जो नहिं होइ तात तुम पाहीं॥
अर्थ: इस वक्त चौपाई को हनुमान जी के लिए लिखा गया है कि है। हे पवन पुत्र हनुमान ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जिसे आप नहीं कर सकते। आप तो इस संसार का सबसे कठिन कार्य भी बड़ी आसानी से कर सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति सिर्फ आपके नाम का स्मरण कर ले तो वह संसार का कठिन से कठिन कार्य भी आसानी से कर सकता है। अर्थात यदि आपका नाम लिया जाए तो संसार के सभी दुखों से और संसार के सभी कष्टों से पल भर में छुटकारा मिल सकता है।
* ह्रदय बिचारति बारहिं बारा,
कवन भाँति लंकापति मारा।
अति सुकुमार जुगल मम बारे,
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निशाचर सुभट महाबल भारे।।
अर्थ: जब रावण का वध करने के बाद प्रभु श्री राम वापस अयोध्या पहुंचे तो माता कौशल्या के मन में बार-बार यह विचार आ रहा था कि इन्होंने रावण का वध कैसे किया होगा। वह सोच रही थी कि मेरे दोनों सुकुमार तो बहुत कोमल है और वहीं दूसरी ओर राक्षस लोग बहुत ज्यादा बलवान थे। वह महा बलवान थे आखिर उन्होंने रावण का वध कैसे किया है लेकिन दूसरी ही ओर वह लक्ष्मण और सीता के साथ प्रभु श्री राम को देखकर मन ही मन काफी खुश भी हो रही थी।
रामायण की सबसे अच्छी चौपाई
रामायण में एक नहीं बल्कि कई चौपाई है और इन सबके अर्थ अलग-अलग है और इन सबको गहरे अर्थ के साथ लिखा गया है। आज के इस लेख में हम आपको रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई के बारे में ही बता रहे हैं। ऊपर हमने आपको रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाइयों में से कुछ बता दी है नीचे कुछ और बताएंगे
* भक्ति हीन गुण सब सुख कैसे,
लवण बिना बहु व्यंजन जैसे।
भक्ति हीन सुख कवने काजा,
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अस बिचारि बोलेऊं खगराजा॥
अर्थ: इस चौपाई में आपको भक्ति के अर्थ को समझाने का प्रयास किया गया है। इसमें कहा गया है की भक्ति के बिना आपके सभी गुण और सुख फीके होते हैं ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार से आपके सभी खाद्य पदार्थ बिना नमक के फीके होते हैं। जिस सुख में भजन ही ना हो वह किसी काम का नहीं होता। कागभुशुण्डि पक्षीराज ने यह यही विचार करते हुई यह बात कही कि यदि आप मुझसे प्रसन्न है मुझे आप अपनी भक्ति प्रदान कीजिए। मैं आपकी भक्ति करना चाहता हूं।
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इस लेख में हमने रामायण से जुड़ी बहुत सी बातों पर चर्चा की हमने आपको यह भी बताया कि रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई कौन सी है। इसके अलावा हमने आपको रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई का अर्थ भी बताया है। लेकिन रामायण की किसी भी चौपाई को कम नहीं कहा जा सकता है। हालांकि यहां पर हम किसी भी प्रकार की मान्यता की पुष्टि नहीं कर रहे हैं।